बजट 2025 में क्या बदलाव हुए? बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देय नहीं होगा। इसके अतिरिक्त, वेतनभोगी करदाताओं को 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा, जिससे करदाताओं को और अधिक राहत मिलेगी। हालांकि, यह नया नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इसका मतलब यह है कि जुलाई 2025 में जब करदाता अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करेंगे, तब भी उन्हें वित्त वर्ष 2024-25 के पुराने नियमों के अनुसार ही कर देना होगा।
क्या अभी 12 लाख रुपये तक की आय पर जीरो टैक्स मिलेगा? नहीं, अभी ऐसा नहीं होगा। करदाता जुलाई 2025 में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपना कर रिटर्न दाखिल करेंगे, जिसमें वित्त अधिनियम 2024 के प्रावधान लागू होंगे। यानी, नया टैक्स स्लैब 2025-26 से प्रभावी होगा, लेकिन इसका लाभ टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय 2026 में मिलेगा।
बजट 2024 में हुए प्रमुख बदलाव
- वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया।
- 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा।
- 3-7 लाख रुपये की आय पर 5% टैक्स, लेकिन धारा 87A के तहत 25,000 रुपये की छूट मिल सकती है।
- 7 लाख रुपये तक की आय पर जीरो टैक्स, लेकिन वेतनभोगी करदाता स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ लेने के बाद 7.75 लाख रुपये तक की आय पर कर-मुक्त रहेंगे।
- नई कर व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट बनाया गया है, हालांकि करदाता चाहें तो पुरानी व्यवस्था भी चुन सकते हैं।
पुरानी और नई कर व्यवस्था में अंतर
पुरानी कर व्यवस्था:
- 0-2.5 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 2.5-5 लाख रुपये: 5%
- 5-10 लाख रुपये: 20%
- 10 लाख रुपये से ऊपर: 30%
- विभिन्न छूट और कटौतियों का लाभ
नई कर व्यवस्था:
- 0-3 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 3-7 लाख रुपये: 5% (87A छूट लागू)
- 7-12 लाख रुपये: 10%
- 12-15 लाख रुपये: 15%
- 15 लाख रुपये से ऊपर: 30%
- स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपये
- कम कटौतियाँ, लेकिन सरल कर व्यवस्था
आसान हो गई टैक्स फाइलिंग नई कर व्यवस्था को अपनाने से टैक्स फाइलिंग आसान हो गई है। करदाताओं को छूट का लाभ लेने के लिए कई दस्तावेज और प्रमाण प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, पुरानी व्यवस्था की तुलना में कई छूट और कटौतियाँ हटा दी गई हैं, जिनमें HRA, LTA, होम लोन के ब्याज पर छूट और धारा 80C के तहत मिलने वाली कई रियायतें शामिल हैं।
ITR दाखिल करने वालों के आंकड़े
आयकर विभाग के अनुसार, असेसमेंट ईयर 2024-25 में कुल 7.28 करोड़ ITR दाखिल हुए थे। इनमें से:
- 2.01 करोड़ लोगों ने पुरानी कर व्यवस्था चुनी।
- 5.27 करोड़ करदाताओं ने नई कर व्यवस्था अपनाई।
इससे स्पष्ट होता है कि लगभग 72% करदाता अब नई टैक्स रिजीम का चुनाव कर रहे हैं।
टैक्स बचाने के अभी भी ये तीन विकल्प उपलब्ध
हालांकि नई कर व्यवस्था में कई छूट हटा दी गई हैं, फिर भी कुछ ऐसे विकल्प हैं जिनसे करदाता टैक्स बचा सकते हैं:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन:
- बजट 2024 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी गई।
- यह वेतनभोगी करदाताओं के लिए उपलब्ध होगा।
- NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) में योगदान:
- धारा 80CCD(2) के तहत नियोक्ता द्वारा किए गए NPS योगदान पर छूट मिलेगी।
- हालांकि, कर्मचारियों के व्यक्तिगत योगदान पर यह लाभ नहीं मिलेगा।
- ग्रेच्युटी पर छूट:
- नई कर व्यवस्था में भी ग्रेच्युटी छूट जारी रहेगी।
- करदाता इस लाभ का उपयोग कर सकते हैं।
क्या आपको नई कर व्यवस्था चुननी चाहिए?
नई कर व्यवस्था उन लोगों के लिए बेहतर हो सकती है, जो अपने निवेश और टैक्स सेविंग ऑप्शंस को कम करना चाहते हैं और सरल टैक्स स्लैब का लाभ लेना चाहते हैं। वहीं, जो लोग HRA, होम लोन ब्याज और अन्य कटौतियों का लाभ उठाना चाहते हैं, उनके लिए पुरानी कर व्यवस्था अब भी अधिक फायदेमंद हो सकती है।
नई कर व्यवस्था को अपनाने से टैक्स फाइलिंग पहले की तुलना में अधिक सरल हो गई है। 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट 2025-26 से लागू होगी, लेकिन करदाताओं को इसका लाभ 2026 में ITR फाइलिंग के दौरान मिलेगा।
अगर आप कर बचत के अधिक विकल्प चाहते हैं, तो पुरानी व्यवस्था का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया आसान हो और आपको कम डॉक्युमेंटेशन की जरूरत पड़े, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।