EPIC-Aadhaar Linking का मतलब है कि आपके EPIC (Electors Photo Identity Card) यानी वोटर आईडी को आपके आधार कार्ड से जोड़ना। इसका उद्देश्य है चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना और फर्जी वोटिंग को रोकना। इस प्रक्रिया के तहत नागरिक अपनी वोटर आईडी को आधार नंबर से लिंक कर सकते हैं, जिससे उनकी पहचान की पुष्टि करना आसान हो जाता है। यह प्रक्रिया स्वैच्छिक है लेकिन चुनाव आयोग इसे जागरूकता के तहत बढ़ावा दे रहा है ताकि चुनाव प्रणाली अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय हो सके।
EPIC-आधार लिंकिंग (EPIC-Aadhaar Linking): मुख्य निर्वाचन आयुक्त की बैठक (Chief Election Commissioner Meeting)
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार को गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और UIDAI के CEO के साथ एक बैठक बुलाई। इस बैठक में EPIC-आधार लिंकिंग (EPIC-Aadhaar Linking) पर चर्चा की गई।
आधार सूचना की समय सीमा समाप्त (Aadhaar Information Deadline Expired)
31 मार्च 2024 के बाद से, जो कि कानून मंत्रालय द्वारा अधिसूचित अंतिम तिथि थी, मौजूदा मतदाताओं के लिए अपना आधार विवरण EC को साझा करने का समय समाप्त हो गया है। यह प्रक्रिया प्रतिनिधित्व जन अधिनियम, 1950 की धारा 23 के तहत, चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2022 के माध्यम से संशोधित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और EC का आश्वासन (Supreme Court Decision and EC’s Assurance)
फरवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें मतदाता पंजीकरण के लिए आधार कार्ड (Aadhaar Card) देना अनिवार्य नहीं होने का दावा किया गया था, याचिका को खारिज कर दिया था।
EC ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि आधार देना अनिवार्य नहीं है और वह कानून मंत्रालय को R P अधिनियम, 1950 में संशोधन करने के लिए लिखेगा ताकि इस संबंध में किसी भी भ्रम को दूर किया जा सके।
66.2 करोड़ मतदाताओं ने साझा किया आधार (66.2 Crore Voters Shared Aadhaar)
EC के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 66.2 करोड़ मतदाताओं (वर्तमान में 99 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से) ने स्वेच्छा से अपना आधार विवरण साझा किया है।
दिलचस्प बात यह है कि संसद में पूछे गए सवालों के जवाब में कानून मंत्रालय ने बताया कि चुनाव आयोग अभी तक EPIC डेटाबेस (EPIC Database) के साथ आधार विवरण को लिंक नहीं कर पाया है।
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के फायदे (Benefits of Biometric Authentication)
पूर्व सीईसी राजीव कुमार ने अपने विदाई भाषण में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के फायदों को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था, “बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसे नवाचारों से व्यक्तिगत पहचान और एक से अधिक बार वोट डालने की घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हर वोट सही मतदाता का हो।”
संविधान और आधार अधिनियम का संबंध (Constitution and Aadhaar Act Link)
EC के एक अधिकारी ने TOI को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत EC का यह कर्तव्य है कि वह 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार सुनिश्चित करे, और आधार अधिनियम (Aadhaar Act) ऐसे पात्र मतदाताओं की पहचान करने का एकमात्र वैधानिक ढांचा है।
आगे की राह: अनिवार्य आधार सूचना? (Next Steps: Mandatory Aadhaar Information?)
18 मार्च की बैठक में शेष 34 करोड़ मतदाताओं के लिए आधार सीडिंग (Aadhaar Seeding) को फिर से शुरू करने के विकल्पों पर चर्चा हो सकती है। इसमें मतदाताओं के लिए आधार सूचित करना अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव भी शामिल हो सकता है, जिसका विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा सकता है, क्योंकि वे गोपनीयता और आधार में खामियों जैसे मुद्दों को उठा सकते हैं।
इसके लिए R P अधिनियम, 1950 की धारा 23(5) में संशोधन करके ‘may’ (सकता है) को ‘shall’ (अनिवार्य) में बदलना होगा। वैकल्पिक रूप से, केवल R P अधिनियम में बदलाव करके आधार सूचना की ‘स्वैच्छिक’ प्रकृति को लेकर मौजूदा भ्रम को दूर किया जा सकता है।
2024 में EC का प्रस्ताव (EC Proposal in 2024)
2024 की शुरुआत में EC ने कानून मंत्रालय को धारा 23(6) और धारा 28(2) में संशोधन का सुझाव देते हुए पत्र लिखा था, ताकि आधार के अलावा किसी अन्य पहचान प्रमाण को देने के लिए ‘पर्याप्त कारण’ की आवश्यकता को हटाया जा सके। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
नए सीईसी के नेतृत्व में नई कोशिश (New CEC’s Efforts for EPIC-Aadhaar Linking)
अब, नए सीईसी के नेतृत्व में, EC एक बार फिर EPIC-आधार लिंकिंग (EPIC-Aadhaar Linking) के लंबित प्रयासों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है। यह प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी, लेकिन अदालती चुनौतियों और राजनीतिक दलों, विशेष रूप से क्षेत्रीय दलों के विरोध के कारण इसे गति नहीं मिल पाई।
निष्कर्ष (Conclusion)
EPIC-आधार लिंकिंग (EPIC-Aadhaar Linking) का मकसद मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाना है। हालांकि, इसे लेकर गोपनीयता और राजनीतिक विरोध जैसे मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। आने वाले समय में EC और कानून मंत्रालय के बीच होने वाली चर्चाएं इस दिशा में अहम भूमिका निभाएंगी।